नैनबाग। जनपद टिहरी के जौनपुर नैनबाग का प्रसिद्ध मौण मेला रविवार को दो वर्ष बाद बड़ी धूमधाम से मनाया है। क्षेत्र के लोगों ने ढोल-नगाड़ों के साथ प्रतिभाग कर अगलाड़ नदी में परंपरागत तरीके से मछलियां पकड़ी। इस ऐतिहासिक मेले को देखने के लिए टिहरी, मसूरी, देहरादून, उत्तरकाशी और चकराता के लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। लोगों ने मेले का खूब लुफ्त उठाया।

जानकारी के अनुसार इस मेले में जौनपुर के हजारों लोग ढोल-नगाड़ों के साथ उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं। इस परंपरा के मुताबिक अलगाड़ नदी में मौणकोट गांव के पास नदी में टिमरू की छाल को सुखाकर उसको पीसकर बने चूर्ण को नदी में डाला जाता है। जिससे मछलियां बेहोश हो जाती हैं फिर उनको पकड़ा जाता है। बताया जाता है कि इस मेले की शुरुआत टिहरी नरेश नरेंद्र शाह ने सन 1876 में की थी। राजा स्वयं अपने लाव-लश्कर और रानियों के साथ इस मेले में मौजूद रहते थे। इसमें 114 गांव के हजारों ग्रामीण ढोल-नगाड़ों के साथ भाग लेते हैं। इसी परंपरा को जीवित रखने के लिए जौनपुर के लोगों द्वारा इस मेले का हर वर्ष आयोजन किया जाता है।
क्या होता है मौण : टिमरू के छिलके को सुखाकर पीसने के बाद बने पाउडर से मछलियों को पकड़ा जाता है सबसे अधिक मछलियां पकड़ने वाले आदमी को पुरस्कृत किया जाता है, स्थानीय लोग बताते हैं कि टिमरू के पाउडर से नदी एक तो साफ हो जाती है। और दूसरा लोक परंपरा को बनाए रखने में मदद मिल जाती है।