चुनावी वातावरण से स्थानीय मुद्दे गायब, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी
पुरोला विधानसभा (रोहित बिजल्वाण)। देश के इतिहास में पहली बार बीना शोरगुल के कोविड काल में विधानसभा चुनाव संपन्न होने जा रहे हैं। यह पहली बार है जब बिना भोपू, चुनावी जनसभा, और बड़ी-बड़ी रैलियां इस चुनाव में देखने को नहीं मिलेगी चुनाव आयोग ने बड़े जनसमूह को इकठ्ठा होने पर रोक लगा रखी, तो प्रत्याशी डोर-टू-डोर कैंपेन करने में जुटे हुए हैं । वहीं प्रत्याशी व उनके समर्थक एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप और जहरीले तीर छोड़ते हुए नजर आ रहे हैं लेकिन कोई भी राजनीतिक पार्टियां स्थानीय समस्याओं को मुद्दा बनाती नहीं दिख रही है, एक और जहां कांग्रेस की डबल इंजन की सरकार पर आरोप लगा रही है कि उसने 5 साल में सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने के लिए मुख्यमंत्री बदलो योजना निकाली है। तो दूसरी तरफ बेरोजगार सड़कों पर घूम रहे हैं ,महंगाई अपने चरम पर है स्थानीय स्तर पर बंगाण क्षेत्र में आई आपदा के जख्म अभी भी हरे-भरे हैं,और सरकार बेशुध पड़ी हुई है, वहीं भाजपा कांग्रेस पर आरोप लगाती है की कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करती है इन्हीं आरोप-प्रत्यारोप के बीच स्थानीय मुद्दे कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं और बेचारी जनता हैरान-परेशान भाजपा और कांग्रेस के बिच दल बदल की राजनीति भी अपने चरम पर इस चुनाव में देखी जा रही है तो अवसरवादी नेता इसे राजनीति का खूबसूरत गहना मान रहे हैं।