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स्वाधीनता सेनानी का नाम शिला पट्ट में लिखना भूल गया प्रशाशन ? 

मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम के तहत लगने वाले शिला पट्ट पर अंकित नहीं नाम 

BBC ख़बर,ब्यूरो रिपोर्ट 

पुरोला (uttarkashi)प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 30 जून रविवार को “मन की बात” रेडियो के माध्यम से “मेरी माटी मेरा देश” अभियान को जारी करने का ऐलान किया गया था। भारत के वीर एवं वीरांगनाओ के लिए “मेरी माटी मेरा देश” कार्यक्रम को शुरू किया गया है। जिसके माध्यम से देश के शहीद वीर एवं वीरांगनाओ को सम्मान दिया जाएगा। ताकि आने वाली पीढ़ी भी शहीदों के बारे में सभी जानकारी प्राप्त कर सकें। लेकिन प्रखंड के नौरी गांव में द्वितीय विश्व युद्ध में भाग ले चुके हवलदार आगम सिंह चौहान का नाम शिलालेख में दर्ज न होने पर परिजन खासे नाराज दिख रहे हैं।

द्वितीय विश्व युद्ध में भाग ले चुके स्वाधीनता सेनानी हवलदार आगम सिंह चौहान

पुरोला विकासखंड के नौरी ग्राम पंचायत के आगम सिंह चौहान टिहरी रियासत में एक सैनिक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे थे तभी द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भारत पर ब्रिटिश उपनिवेश का राज था। इसलिए आधिकारिक रूप से भारत ने भी नाज़ी जर्मनी के विरुद्ध 1939 में युद्ध में राजशाही फौज ने भाग लिया इस युद्ध में स्वाधीनता सेनानी आगम सिंह चौहान ने अपनी वीरता का परिचय देते हुए दो मेडल 🥇 भी प्राप्त किए जिसमें एक मेडल इटली और दुसरा अफ्रीका में प्राप्त हुआ। आज भी 91 वर्षीय उनकी धर्म पत्नी प्रतिमा देवी नौरी गांव में ही रहती है।और स्वाधीनता सेनानी की पत्नी के नाते सरकार द्वारा उन्हें पेंशन भी दी जाती है।

द्वितीय विश्व युद्ध में प्राप्त इटली और अफ्रीका के मेडल

लेकिन प्रधानमन्त्री के “मेरी माटी मेरा देश” कार्यक्रम के तहत गांव में लगे शीला पट्ट पर उनका नाम अंकित नहीं करा गया, जिससे उनके परिजन एक स्वाधीनता सेनानी की तोहीन समझ रहे है।

नौरी गांव में लगे शिला पट्ट में नहीं दर्ज है स्वाधीनता सेनानी का नाम

उपजिलाधिकारी देवानंद शर्मा का कहना है कि जनपद से जो सूची उन्हें प्राप्त हुई है उसमें इनका नाम नहीं है। यदि उनका नाम छूट गया है तो परिजन कार्यालय में आकर संपर्क कर सकते हैं।

इस कार्यक्रम के तहत 7500 कलशों को माटी और पौधे के साथ-साथ देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंचाया जाएगा। प्रधानमन्त्री मोदी द्वारा शुरू किए गए अभियान के अंतर्गत पूरे भारत के लाखो ग्राम पंचायतों में एक विशेष प्रकार का शिलालेख भी स्थापित किया जाएगा जो कि आने वाली पीड़ी के लिए एक सबूत होगी। इन सभी कलश और मिट्टी के पौधों के साथ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के पास रोपा जाएगा। जिससे आने वाले समय में “अमृत वाटिका” के नाम से जाना जाएगा।

 

पंच प्रणों की शपथ क्या है?

🎖️ देश की रक्षा करने वाले शहीदों को सम्मान देना है।

🎖️ हमारे मन में बसी गुलामी की मानसिकता को जड़ से बाहर निकालना।

🎖️देश के प्रत्येक नागरिक को एकजुट एवं एकता के साथ कर्तव्यबद्ध रहना। 

🎖️भारत देश को 2047 में विकसित देश बनाने का सपना साकार करना है। 

🎖️हमारे देश के नागरिक होने के कर्तव्य को निभा कर देश की समृद्ध विरासत पर गर्व करना है

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