Uncategorizedअपराधउत्तराखंडखेलदेश-विदेशपर्यटनपुलिसयूथराजनीतिशिक्षासामाजिकस्वास्थ्य

हरिमोहन सिंह की हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिकाए ख़ारिज–लगा झटका 

बीबीसी ख़बर,न्यूज नेटवर्क

नैनीताल/नई दिल्ली, नगर पंचायत पुरोला के विभिन्न वार्डों में मुख्यमंत्री की घोषणा से संबंधित विकास योजनाओं में योजनाएं विलोपित होने पर हरिमोहन सिंह  द्वारा पहले हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसे हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दीया था। बाद में हरिमोहन सिंह ने इस पीआईएल याचिका को देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट में ले गए,जहां से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इस याचिका को ख़ारिज कर दिया की,हमें विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं दिखता, इसलिए याचिका ख़ारिज की जाती है।

नगर पंचायत पुरोला के वार्ड संख्या 01–02 और 03 में 97.98 लाख व वार्ड संख्या 05 और 06 में 56.68 लाख रुपए के कार्यों को मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी। जिसमें उत्तराखण्ड शासन स्तर से वित्तिय स्वीकृति मिलनी बाकी थी। उक्त कार्यों को नगर पंचायत पुरोला द्वारा वित्तीय स्वीकृति के बिना ही टेंडर प्रक्रिया जारी कर निमार्ण कार्य भी शुरु करवा दिए गए, बाद में शासन स्तर पर कुछ सभासदों द्वारा नगर पंचायत अध्यक्ष हरिमोहन नेगी पर विकास कार्यों में लीपापोती व भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। आरोपों की प्रशासनिक जांच में जुटी टीम ने उत्तराखण्ड शासन को कार्यों की जांच कर अपनी जांच रिर्पोट शासन को भेजी, जिसमें पाया गया की विकास कार्यों में लीपापोती और अनियमितताएं बरती गई है। जिस पर उत्तराखण्ड सरकार ने उक्त योजनाओं को विलोपित कर दिया। जिसके खिलाफ हरिमोहन सिंह नेगी ने हाई कोर्ट का रुख कर 27 जून 2023 को अपने नाम से एक जनहित याचिका दायर की। जिसे उत्तराखंड हाई कोर्ट नैनीताल के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायाधीश राकेश थपलियाल की पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता यह बताने में विफल रहा है कि व्यक्तिगत क्षमता में, या नगर पंचायत के अध्यक्ष के रूप में, जिन कार्यों के लिए घोषणाएं की गई थीं, उनके संबंध में राज्य को धन जारी करने का आदेश देने के लिए याचिकाकर्ता का निहित अधिकार क्या है। और धनराशि वित्तीय वर्ष 2021-22 में जारी की गई थी। इसलिए हम कोई निर्देश जारी करने के इच्छुक नहीं हैं। याचिका निराधार है।और इसलिए इसे खारिज किया जाता है। साथ ही लंबित आवेदन यदि कोई हो,तो उसका भी निपटारा किया जाता है।

हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट द्वारा जनहित याचिका पर सुनाया गया फैसला

हाई कोर्ट के इस आदेश के विरुद्ध हरिमोहन सिंह ने 13  सितंबर को देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका पर दिए आदेश के विरुद्ध एक पिटीशन दाखिल किया जिसे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि हमें विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं दिखता। तदनुसार, विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!