उत्तराखंडस्वास्थ्य

फार्मासिस्ट के भरोसे मोरी विकासखंड

अनदेखी

68 हजार पशुओं पर एक भी डॉक्टर तैनात नहीं, कैसे थमेगा लंपी त्वचा रोग, ब्लॉक प्रमुख ने की पशु चिकित्सक की मांग

मोरी। देशभर में जहां लंपी बीमारी लगातार गौवश में फैलती जा रही है। वहीं दूसरी ओर इसके प्रभावी ढंग से निपटने व रोकथाम के लिए मोरी विकासखण्ड के दो पशु चिकित्सालयों में एक भी डॉक्टर तैनात नहीं है। ब्लॉक प्रमुख बचन पंवार ने सचिव पशु पालन से मुलाकात कर जल्द डाक्टरों की तैनाती की मांग की है।

बताते चलें की मोरी विकासखण्ड पशु पालन के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका में है यहां बंगाण क्षेत्र के आराकोट व नैटवाड के दोनों चिकित्सालय में एक भी पशु डॉक्टर तैनात नहीं है। जिसका खामियाजा पशुपालकों को उठाना पड़ रहा है विकासखण्ड में एक दर्जन मेढ़ा केंद्र भी हैं, यहां के अधिकांश लोगों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन पर ही निर्भर है। बावजूद इसके पशु चिकित्सक की तैनाती न होने से पशु पालक खासे परेशान हैं। साथ ही क्षेत्र में घुमंतु गुजर भी विकट परिस्थितियों में अपने हजारों मवेशियों के साथ जंगलों में रहते हैं। बावजूद इसके पशु चिकित्सकों की तैनाती न होने से इनको भी दर–दर भटकना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि चुने हुए जन प्रतिनिधियों को कई बार मामले से अवगत करवाया गया है। लेकीन सुध लेने वाला कोई नहीं है। वहीं दूसरी ओर ब्लॉक प्रमुख बचन पंवार ने सचिव पशु पालन से मुलाकात कर जल्द डाक्टरों की तैनाती की मांग रखते हुए पशु पालन मंत्री सौरभ बहुगुणा से इस बारे में मिलने का वक्त भी मांगा है।

क्या है लंपी बीमारी ? : सामान्यतः पशुओं में होने वाली लंपी स्किन डिजीज एक संक्रामक बीमारी है। ये बीमारी बहुत ही तेजी से फैलती है। इसके वाहक मच्छर, मक्खी, जूं इत्यादि हैं। इन परजीवियों के काटने के बाद जब वो दूसरे जानवरों को काटते हैं तो उनके खून से वायरस दूसरे जानवरों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। ये बीमारी सीधे संपर्क में आने से भी फैलती है, इसके अलावा ये बीमारी दूषित भोजन से भी जानवरों में फैलती है। इस बीमारी से पशुओं में तमाम लक्षण दिखाई देने के साथ ही उनकी मृत्यु होने का भय भी बना रहता है। पंजाब में संक्रमित मवेशियों की सूचना ज्यादातर डेयरी फार्मों से मिली है।

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