पलायन पर स्पेशल रिपोर्ट:
नौगांव (uttarkshi)नौगांव विकास खंड के चार गांवो को मिलाकर बनी एक ग्राम पंचायत कोटला जो आज सरकारी उदासीनता और हमारे निति निर्धारकों की अदूरदर्शी सोच के चलते गांव बंजर हो कर खाली होते जा रहे हैं। जहां देश की आजादी के 78 साल बाद भी आज तक सड़क नही पहुंच पाई । देशभर में जहां 77 वें स्वतंत्रता दिवस की खुशियां मनाई जा रही हों, तो वहीं कोटला, जखाली,धौसाली, घुंड गांवो में सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के न पहुंचने पर लोग गांवों से पलायन करने को मजबूर हैं, कभी इन गावों में बच्चों की किलकारियों से घर आंगन गूंजा करता था, वहीं आज खामोशी नज़र आ रही है। आज इन गावों में खेत खलियान बंजर और पुस्तैनी पांच मंजिले पुरातन शैली में बने भवन खंडर नज़र आ कर अपने पुराने दिनों की खूबसूरत दास्तां का बखान करते नजर आ रहे हैं। आज इन गावों की स्थिति यह है कि कोटला गांव में लगभग 78 प्रतिशत लोगों ने पलायन कर दीया है तो वहीं जखाली,धौसाली, घुंड में बच्चों की शिक्षा दीक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर 98 प्रतिशत लोगों ने अपने घर बार छोड़ घरों पर ताले लगा दिए। और गांवों से पलायन कर पुरोला विकासखंड के मठ,सुनाली, उदकोटी, धिवरा, भद्राली, कुमार कोट, मोल्टाडी आदी गांवों में बस गए हैं। आज कोटला गांव के प्राथमिक विद्यालय में मात्र 07 बच्चे अध्यन रत बताए जा रहे हैं।
कभी इन गावों में 210परिवार रहा करते थे आज मात्र जखाली में 02, धौंसाली 02, घुण्ड 01, कोटला में मात्र 28 परिवार ही बचे हैं। इन गावों से पलायन करने वाले लोग भी अब मात्र जून माह में होने वाले मेले या तीन साल में होने वाले थाती पूजन की रस्म अदायगी के लिए ही इन गावों में पहुंचते हैं।
गांव के वन सरपंच दर्मियान पंवार, वीरेंद्र पंवार,चंद्र मोहन चौहान, अवतार सिंह चौहान, पुर्व फौजी दर्मियान सिंह पंवार, त्रिलोक पंवार,गोविंद पंवार,उपेंद्र पंवार,सूर्यपाल, किशन राणा, विकास पंवार,गंभीर पंवार ,सचिन, भूपेंद्र सिंह आदि का कहना है कि यदि इन गांवों तक सड़क पहुंच जाती है तो एक बार फिर से ये गांव खुशाल बन जाएगा। और गावों में लोग फिर वापस आने लगेंगे।
वहीं छेत्रीय विधायक दुर्गेश्वर लाल का कहना है कि जल्द इन गावों को सड़क मार्ग से जोड़ा जायेगा और फिर से इन गावों में खुशहाली आएगी।