बीबीसी ख़बर, न्यूज नेटवर्क
नैनीताल/देहरादून,हाई कोर्ट ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए पहली बार एक साथ तीन उच्च न्यायिक सेवा के अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया । मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी की संस्तुति व राज्यपाल की मंजूरी के बाद शासन द्वारा तीनों वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्त करने का आदेश जारी कर दिया गया है।
कल रात हाई कोर्ट की वेबसाइट में जारी नोटिफिकेशन में श्रम न्यायालय हरिद्वार पीठासीन अधिकारी राजेंद्र जोशी, श्रम न्यायालय काशीपुर के पीठासीन अधिकारी शमशेर अली तथा देहरादून के चतुर्थ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष चंद्र का नाम शामिल है। तीनों को उत्तराखंड न्यायिक सेवा नियमावली 2004 (संशोधित 2016) के नियम 25 (क) में निर्धारित व्यवस्था के अनुसार राज्यपाल द्वारा जनहित में आदेश दिया गया है, कि तीनों न्यायिक अधिकारी आदेश जारी होने के बाद से सेवानिवृत्त हो जाएंगे। सचिव शैलेश बगौली के हस्ताक्षर से यह आदेश राज्यपाल की मंजूरी के बाद जारी किया गया है।
आपको बताते चलें कि नैनीताल हाई कोर्ट ने अब तक इन तीनों सहित अनियमितता व भ्रष्टाचार की शिकायत पर लगभग एक दर्जन न्यायिक अधिकारियों पर कार्रवाई कर चुका है। कार्रवाई की जद में आए न्यायिक अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, प्रलोभन व पद के दुरुपयोग जैसे कई गंभीर आरोप रहे हैं। एक महिला न्यायिक अधिकारी को घर में काम कर वाली किशोरी के उत्पीड़न के आरोप जांच में साबित होने पर बर्खास्त किया गया था।