देखें धुंआ दार वायरल वीडियो 🖕
BBC ख़बर ,न्यूज नेटवर्क पुरोला स्पेशल रिपोर्ट
रिपोर्ट: अनिल असवाल
Purola/Uttarkashi (Nov 04/24) पापा की परियों के गज़ब कारनामे तो आप ने सुना ही होगा, पर आज इनके कुछ कारनामे कैमरे में कैद हो कर सोशल मीडिया में सुर्खियों और चर्चाओं में बने है। दरअसल बात एक प्रतिष्ठित विद्यालय में पढ़ने वाली कुछ बालिकाओं की है जिनकी धूम्रपान करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। सूत्रों के अनुसार यह वीडियो किसी अन्य शख्स ने नहीं बनाई है। बल्कि इन्हीं बालिकाओं ने आपस में वीडियो बना कर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की। जहां से इनके ही किसी करीबी मित्र ने यह वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल कर दिया। वीडियो वायरल होने के बाद अन्य अभिभावको को अपने बच्चों के संगत और भविष्य की चिंता सताने लगी है।
प्रखंड के एक प्रतिष्ठित विद्यालय में पढ़ने वाली तीन छात्राओं की जंगल में बैठ कर धूम्रपान करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। जिसमें बालिकाएं स्कूल ड्रेस में बैठ कर धूम्रपान करते हुए अपनी वीडियो बनवा रही है। अचंभा तो इस बात का है कि आधुनिक युग की बालिकाएं स्वयं अपनी इन वीडियो को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर कर रही है। जहां से उनके किसी करीबी ने ये वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल कर दी। अब सवाल यह उठ रहा है कि इन बालिकाओं को धूम्रपान की लत कहां और किसने लगाई? वीडियो में धूम्रपान करने के तरीकों से लग रहा है कि इनको धूम्रपान करते हुए एक लंबा वक्त होने को है। सूत्रों के अनुसार उक्त विद्यालय की क़रीब दो दर्जन छात्राएं धूम्रपान करने में मश्गूल हो गई हैं। सवाल उठ रहे हैं कि, क्या ये बालिकाएं अपने घर के परिवेश या विद्यालय की संगत या अपने इर्द गिर्द सामाजिक परिवेश या सोशल मीडिया से प्रभावित हो कर धूम्रपान करने के लिए प्रेरित हुई है ?
क्या सामाजिक तानाबाना/ स्थानीय प्रशासन/विद्यालय प्रबन्धन भी है इसके लिए जिम्मेदार?
विद्यालय प्रशासन – वायरल वीडियो के बाद स्कूल प्रशासन ने इन बालिकाओं की पहचान कर इनके परिजनों को स्कूल में तलब किया है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि स्कूल प्रशासन ऐसे छात्र –छात्राओं को सुधारने में क्या भूमिका निभाता है? विद्यालय के प्रधानाचार्य और शारीरिक शिक्षक ने बताया कि इस प्रकार की शिकायत अक्सर लड़कों की तरफ से आती थी ,उसके लिए विद्यालय स्तर पर एक अनुशासन समिति भी बनाई गई है जो निरन्तर चैकिंग अभियान चलाती है साथ ही जंगलों में छापामारी कर घर से स्कूल आए और जंगलों में छुपे हुए छात्रों को पकड़ कर उनके परिजनों को विद्यालय में बुला कर उनकी निरन्तर काउंसलिंग कराई जाती है साथ ही समय–समय पर नशापान जागरूकता को लेकर गोष्ठियां भी करवाई जाती हैं। पर बालिकाओं के धूम्रपान/नशापान का यह पहला मामला सामने आया है।
स्थानीय सामाजिक तानाबाना – वीडियो में दिख रही तीनों बालिकाओं की पहचान के बाद जिस छेत्र/गांव से ये बालिकाएं संबंध रखती है। सूत्रों के अनुसार उन गांवों में गत माह पूर्व गांव के कुछ लोगों ने अपने खेतों/बगीचों में अफ़ीम और भांग की खेती की हुई थी और जून की छुट्टियों में घर का प्रत्येक सदस्य (बच्चों सहित)चरस तैयार करने में लगा था।अभी भी इन गांवों में 20 से 25 किलो चरस बिकने को तैयार है। तो कहीं इन बालिकाओं को धूम्रपान की ये लत अपने गांव/घर के समाज से तो नहीं लगी होगी ? क्या इनका झुकाव अपने लोगों को देख के तो नहीं लगा होगा। स्थानीय स्तर पर एक पुरानी कहावत है कि,आगे की लकड़ी पीछे ही जलकर आती है। कहीं एक कारण यह भी तो नहीं हो सकता?
स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी कितनी ?– पुलिस व राजस्व प्रशासन के पास हर गांव का भौगोलिक,सामाजिक व आर्थिक परिवेश की रिपोर्ट के साथ ही ग्राउंड जीरो की सटीक सूचना देने वाला ग्राम प्रहरी मौजूद होता है साथ ही गांवों में चल रही असामाजिक गतिविधि की सटीक जानकारी और जिम्मेदारी भी स्थानीय प्रशासन की होती है।बाबजूद इसके गांवों में नशे के कारोबार में प्रतिवर्ष बढ़ोतरी हो रही है। तो वहीं राजस्व प्रशासन के फ़सली वर्ष के चार्ट 📉 📈 में कहीं भी अवैध नशे के कारोबार की खेती का कोई आंकड़ा नहीं दिखाई देता। फसली वर्ष का आंकड़ा भी महज़ एक खानापूर्ति बन कर रह गया है। और गांवों में नशे की खेती देखा देखी बढ़ती ही जा रही है। जिसके परिणाम भी सामने आने शुरू हो गए हैं।