खेती : यूरिया खाद का बेहतर विकल्प बनकर उभरी नैनो यूरिया
साधन सहकारी समितियों, गन्ना समितियों और इफ्को किसान सेवा केन्द्रों पर उपलब्ध है नैनो यूरिया
naugaon। Rohit bijalwan
यूरिया का बेहतर विकल्प बनकर सामने आए नैनो यूरिया को किसान अब धीरे-धीरे अपनाने लगे है। इसके अच्छे परिणाम को देखते भविष्य में फसलों में परंपरागत यूरिया का प्रयोग आधा हो जायेगा। जिससे किसानों की आय बढे़गी और सरकार पर यूरिया को लेकर बढ़ रहा सब्सिडी का भार भी खत्म हो जायेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2019 में किसानों से यूरिया का प्रयोग आधा करने का आह्वान किया था।
उत्तराखण्ड के लिए नैनो यूरिया वरदान से कम नहीं : राज्य के लिए तो नैनो यूरिया एक वरदान साबित होगी। राज्यब्का अधिकांश क्षेत्र पहाड़ी है। नैनो यूरिया तरल रूप में होता और नाइट्रोजन का भरोसा भी बढ़ रहा है। खरीद और आसान ढुलाई भी इसके इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है। इफ्को उत्तराखण्ड स्टेट हेड राकेश कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि प्रदेश में कुल 2.15 लाख टन यूरिया की खपत है। नैनो यूरिया इस खपत को आधा कर सकती है। मांग के अनुरूप इसकी देश में आपूर्ति सुनिश्चित होने पर यूरिया की कालाबाजारी समाप्त हो जायेगी। क्योंकि इस समय किसानों के लिए परंपरागत यूरिप्रेस या का कोटा फिक्स है। ऐसे में कम उपलब्धता पर इसकी कालाबाजारी की समस्या बनी रहती है वहीं नैनो यूरिया का कोटा किसानों के लिए फिक्स नहीं है।
नाइट्रोजन का मुख्य श्रोत है यूरिया, सीधे पत्तियों पर स्प्रे से ज्यादा लाभ : कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार नैनो यूरिया नाइट्रोजन का मुख्य श्रोत है। पौधे की संरचना व वृद्धि में नाइट्रोजन का अहम रोल है। एक स्वस्थ पौधे में नाइट्रोजन की मात्रा 1.5 से 4 फीसदी तक होती है। बुरकाव या छिड़काव विधि में यूरिया पौधों की जड़ पर पड़ती है इससे उसका 25 प्रतिशत भाग ही फसल को मिल पाता है। कुछ गैस बनकर उड़ जाता है और कुछ जड़ में चला जाता है गैस वाला हिस्सा वायु प्रदूषण और जड़ में जाने वाला भूगर्भ जल को प्रदूषित करता है। नैनो यूरिया का स्प्रे होता है तो यह सीधे पत्तियों पर गिरता है जिससे पौधे को अधिक लाभ मिलता है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के 20 से अधिक रिसर्च केंद्रों में 94 फसलों पर इसका ट्रायल किया गया। जिसका परिणाम यह पाया गया कि उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि पाई गई।
नैनो यूरिया की कीमत कम, उर्वरा शक्ति ज्यादा : इफ्को के प्रोडक्ट नैनो यूरिया की 500 एमएल की एक बोतल यूरिया के 45 किलो की बोरी के बराबर बताई जा रही है। 125 लीटर पानी में मिलाकर इसे छिड़काव के लिए तैयार किया है। ठोस दानेदार यूरिया की एक बोरी की कीमत 263 रूपये है, जबकि नैनो यूरिया की एक बोतल 240 रूपये में मिल जाती है।
सरकार को सब्सिडी से मिलेगी राहत : किसान को यूरिया की बोरी पर फिलहाल सरकार को दो हजार रूपये तक सब्सिडी देनी पड रही है। ऊपर से इसके लिए विदेश पर निर्भरता अलग समस्या है। नैनो यूरिया पर सरकार को कोई सब्सिडी नहीं देनी पड़ेगी। यह दानेदार येरिया से बहुत सस्ती है और आने वाले समय में देश इसके उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा। नैनो यूरिया के प्रयोग के लिए कृषि गन्ना विभाग आदि किसानें को स्प्रिंकलर दे रहे हैं। इसके सही छिड़काव के लिए ड्रोन तकनीक पर भी जोर दिया जा रहा है ।
नैनो यूरिया की उर्वरा शक्ति अधिक : भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान मेरठ के निदेशक डॉ आजाद सिंह कहते हैं कि नैनो यूरिया उर्वरा शक्ति दानेदार यूरिया से ज्यादा है। धान, गेहूं, गन्ना, तिलहन और सब्जियों के लिए यह बेहद मुफीद है। 500 एमएल की एक बोतल पूरे एक एकड़ खेत को काफी है।
देश में नैनो यूरिया के उत्पादन को बढ़ाने की तैयारी : उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित आंवला सयंत्र और प्रयागराज स्थित फूलपुर संयंत्र में नैनो यूरिया प्लांट बनाने का काम चल रहा है। फिलहाल अहमदाबाद से पूर्ण आपूर्ति की जा रही है। बंगलूरू, असम और झारखंड में प्लांट लगाए जायेंगे। पहले इन प्लांटों में नैनो यूरिया की वार्षिक उत्पादन क्षमता 14 करोड़ बोतल की होगी। बाद में इसे बढाकर 18 करोड़ से 32 करोड़ तक ले जाया जायेगा।