उत्तराखंड

बेमौसमी बारिश से काश्तकारों के चहरों पर छाई मायूसी

किसानों की मटर की फसल बर्बाद होने की कगार पर

नौगांव/पुरोला/मोरी। बेमौसमी बारिश से फसल चक्र में बदलाव हो रहा है। यह बारिश मटर के लिए अच्छी नहीं मानी जा रही है। इस समय मटर की पौधों पर फ्लॉवारिंग का समय है। दो दिनों में हुई बारिश से रवाईं क्षेत्र में मटर की फसल को भारी नुकसान हुआ है। जिससे काश्तकारों के चेहरे पर मायूसी छाई है। रवाईं घाटी के नौगांव , पुरोला और मोरी ब्लॉक में प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये के मटर का पैदा किया जाता है। लेकिन बेमौसमी बारिश के कारण मटर की फसल खेतों में ही बर्बाद हो गई है।

काश्तकारों के चेहरों पर मायूसी : पुरोला ब्लॉक के  के खलाड़ी,नेत्री,चंदेली,स्वील,ठढुंग,पुरोला गांव, सौंदाणी, हुडोली,कुमारकोट, सुनाली ,धेवरा, डैरिका, सुकड़ाला, देवढुंग,भद्राली,खड़क्यासेम,मठ,कंताड़ी,पाणीगांव, बिणाई, छिबाला आदि गांव में मटर का व्यापक उत्पादन किया जाता है लेकिन बारिश होने से कास्तकारो को चिंताए सताने लगी है। यह समय मटर की पौध पर फ्लॉवारिंग का होता है और ऐसे में बारिश का होना ठीक नही माना जा रहा है। गत रात्रि भारी बारिश से मटर की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। फ्लॉवारिंग के समय हो रही बारिश से कास्तकारों के सामने आजीविका संकट पैदा हो गया है।

काश्तकारों का ये है कहना… कमल घाटी ग्राम स्वायत्त सहकारिता के अध्यक्ष विजेंद्र सिंह राणा, कास्तकार भरत सिंह रावत, सोवेंद्र सिंह , लोकेश उनियाल विनोद राणा, लखन चौहान, कैलाश उनियाल आदि का कहना है कि क्षेत्र के किसानों ने लाखों रुपये का बीज आढ़तियों से उधार  ले रखा है, लेकिन इस बेमौसमी बारिश से किसानों का मेहनताना तो दूर,आढ़तियों का बीज का रुपया ही निकलना कठिन हो गया है। कहा कि क्षेत्र के अधिकांश कास्तकार तो कृषि ऋण लेकर ही खेती करते हैं जिनके ऊपर फिर बैंक का कर्ज बढ़ता जा रहा है। जिससे किसान परेशान हैं। 

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