उत्तराखंड

सहकारिता विभाग 2025 का रोड़ मैप करे तैयार : पुष्कर सिंह धामी

सीएम ने सहकारिता विभाग की 108 एम पैक्स के कंप्यूटरीकरण ऑनलाइन कार्यक्रम और छरबा में टीएमआर प्लांट भवन के किया शिलान्यास

Dehradun। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि समाज में जो लोग पीछे रह गए हैं छूटे हुए हैं उन्हें सहकारिता विभाग आगे बढ़ाएगा। ऐसा उनका पूर्ण विश्वास है। सीएम ने आज मुख्यमंत्री जनता दर्शन हॉल में सहकारिता विभाग की 108 एम पैक्स के कंप्यूटरीकरण ऑनलाइन कार्यक्रम व छरबा में टीएमआर प्लांट भवन के शिलान्यास के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में सहकारिता विभाग ने बहुत अच्छा काम किया है। अन्य प्रदेशों के लिए उत्तराखंड सहकारिता की योजनाएं प्रेरणा का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रदेश के हर विभाग की समीक्षा 3 महीने में करते हैं सहकारिता का नंबर भी इस बार आ जाएगा। उन्होंने सहकारिता विभाग के अफसरों से कहा कि वह 2025 का रोडमैप तैयार करें, आने वाले समय में सहकारिता क्रांतिकारी परिवर्तन करेगा। मुख्यमंत्री ने सहकारिता मंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने और उनकी टीम ने गांव और न्याय पंचायत स्तर पर सहकारी समितियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म मे लाया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वरोजगार ऋण देने में जो मानक अपनाए जा रहे हैं उन्हें और सरल किया जाए। अफसरों को दूरदराज से आए ग्रामीणों के काम करने की नियत से काम करना चाहिए। उत्तराखंड के सहकारिता विभाग के कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा देश में सबसे पहले उत्तराखंड की जमीन पर गांव और न्याय पंचायत स्तर पर बहुद्देशीय सहकारी समितियों का डिजिटलीकरण का सपना देखा था, वह सपना आज पूरा हो रहा है। 13 लाख सदस्यों का डाटा 2 साल में कलेक्ट करना बड़ी चुनौती पूर्ण कार्य था। जिसे समय पर पूरा किया गया है।

डॉ रावत ने बताया कि, 670 समितियों के कंप्यूटराइजेशन करने के लिए बीते 6 साल में 100 से अधिक समीक्षा बैठक ली गई और तमाम तकनीकी विशेषज्ञों से सार्थक बात की इसमें नाबार्ड को शामिल किया गया, समय समय पर एम पैक्स का भ्रमण , गांव स्तर पर डिजिटल प्लेटफार्म की समीक्षा, उनकी कड़ी मेहनत, लग्न, लक्ष्य का ही नतीजा है कि देश में पहले राज्य उत्तराखंड में ग्रामीणों को कंप्यूटराइजेशन की सौगात मिलने जा रही है। उत्तराखण्ड राज्य के सहकारिता विभाग के एमपैक्स समिति सदस्यों की संख्या लगभग 13 लाख है। आज 108 एम पैक्स का कम्प्यूटरीकरण होने से करीब दो लाख से अधिक लोगों के खातें डिजिटल प्लेटफार्म पर आ गए हैं। इसके फलस्वरूप राज्य के 5 लाख से अधिक ग्रामीण जन लाभान्वित हो सकेंगे।

उत्तराखंड राज्य की 108 बहुउद्देश्यीय सहकारी समिति ( Multipurpose Primary Agricultural Credit Society ) MPACS, एमपैक्स का आज रविवार को ऑनलाइन कम्प्यूटरीकरण किया गया है। शेष 562 एमपैक्स का कम्प्यूटरीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है। राज्य में कुल 670 एमपैक्स हैं। 108 एमपैक्स को कंप्यूटराइज्ड होने से किसानों को फायदा मिल रहा है। कंप्यूटराइज्ड होने के बाद पैक्स उर्वरक, बीज आदि जैसे कृषि इनपुट के प्रावधान के लिए सरकार की यह कोशिश बैंकिंग गतिविधियों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग गतिविधियों के केन्द्र के रूप में एमपैक्स की पहुंच बेहतर हो गई है।

उत्तराखंड राज्य में 108 समितियों को किया जा चुका है ऑनलाइन : उत्तराखंड में कृषि सेक्टर में छोटे और सीमांत किसानों को मजबूत करने के लिए पैक्स एक बड़ी योजना है। पैक्स यानी “प्राथमिक कृषि समितियां” जो देशभर में किसानों को ऋण देने के लिए सबसे छोटी इकाई हैं और किसानों को इसके माध्यम से प्रोत्साहित किया जाता है। पारदर्शिता के लिए इन समितियों को ऑनलाइन किया जा रहा है। तकरीबन 108 समितियां ऐसी हैं जिन को अब तक ऑनलाइन किया जा चुका है। इसके लिए उत्तराखंड देश के सबसे अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है।अगस्त 2020 से ही प्रदेश के सभी बहुद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को कंप्यूटरीकृत करने पर काम चल रहा है। जिससे समितियों के खातें आनलाइन किये जाने की व्यवस्था सुगमतापूर्वक की जा सकेगी। एमपैक्स कम्प्यूटरीकरण से बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों में जमा सदस्यो / ग्रामीणों की पूँजी सुरक्षित हो सकेगी साथ ही जमा एवं निकासी आसान हो सकेगी। एमपैक्स कम्प्यूटरीकरण से गांव का किसान या खाताधारक अपनी जमा को कहीं भी आसानी देख सकता है और रूपये डेबिट कार्ड के माध्यम से सम्पूर्ण देश में कहीं से भी उपयोग में ला सकता है। एमपैक्स कम्प्यूटरीकरण से समितियां जमा, विपणन, उपभोक्ता, संयुक्त सहकारी कृषि लेन देन, DBT आदि कार्य सुगमतापूर्वक कर सकेंगी।

सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि
राज्य में 670 बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (एमपैक्स) की दक्षता बढ़ाने तथा उनके संचालन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाने और पैक्स को अपने व्यवसाय में विविधता लाने व विभिन्न गतिविधियां/सेवाएं शुरू करने की सुविधा प्रदान करना भी सरकार का एक प्रमुख उद्देश्य है।

सहकारिता के सचिव डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि,
प्रदेश की बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (एमपैक्स) को डिजिटल रूप से सशक्त करने हेतु एमपैक्सों को कम्प्यूटरीकृत किये जाने की आवश्यकता के दृष्टिगत राज्य सरकार सहकारी बैंक एवं नाबार्ड के सहयोग रू० 37.52 करोड़ की लागत से इन प्राथमिक सहकारी संस्थाओं को डिजिटल प्लेटफार्म पर लाने की संकल्पना की गयी जिससे कि भारत सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम “डिजिटल इंडिया” के क्रियान्वयन में भी भागीदारी सुनिश्चित हो सके। प्रदेश की 670 एमपैक्स के कम्प्यूटरीकरण का कार्य 2019 से आरम्भ किया गया। उत्तराखण्ड राज्य में 108 एम पैक्स का कंप्यूटरिकरण ऑन लाइन आज किया जा रहा है। शेष 562 बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (एमपैक्स) का कम्प्यूटरीकरण का कार्य 60 से 90 प्रतिशत पूरा हो गया है।

राज्य की बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों को डिजिटल प्लेटफार्म पर लाये जाने के फलस्वरूप सहकारी आन्दोलन को बल मिलने के साथ ही राज्य के लोगों किसानों एवं समितियों के सदस्यों को निम्नानुसार लाभान्वित किया जाना लक्षित है।

कार्यक्रम में विकास नगर के विधायक श्री मुन्ना सिंह चौहान ने अध्यक्षता की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि घस्यारी योजना का डिजाइन करने पर सहकारिता विभाग का बड़ा काम है और साधुवाद के पात्र हैं। उन्होंने कहा साइलेज महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी है। किसान का समय जाया न हो। इस पर काम किया गया है। विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह ने कहा सावधानियां की आवश्यकता है उत्पादक मक्का का समय से भुगतान हो। यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।
माइक्रो फाइनेंस में कोपरेटिव में काम कर रहे हैं उन्होंने यह विधानसभा में कहा था। 6 लाख से अधिक किसानों
को 0 प्रतिशत ब्याज पर ऋण देना बड़ा काम सीएम और मंत्री जी का धन्यवाद।

निबन्धक उत्तराखंड सहकारी समितियां आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि, एमपैक्स में सदस्यों के आंकड़े उनसे सम्बन्धित लेखे आदि पारदर्शितापूर्वक संरक्षित किये जा सकेंगे। एमपैक्स कम्प्यूटरीकरण से 670 समितियों की न्यायपंचायत स्तरीय आधारभूत संरचना सुदृढ़ की जा सकेगी साथ ही यथासमय आवश्यक सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकेगा। बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (एमपैक्स) का सम्पूर्ण डाटा राज्य स्तर पर सी०बी०एस० सिस्टम पर व्यवस्थित किया जा सकेगा। एमपैक्स कम्प्यूटरीकरण से बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी

 एमपैक्स के फायदे 

  • एमपैक्स यानि बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां जिनके किसान सदस्य होते हैं।
  • सहकारिता में यह सबसे छोटी ऋण इकाई है, जो ग्राम स्तर पर होती है।
  • साहूकारों के चंगुल से किसानों को बचाए रखने के लिए गठित किये गए थे।
  • एमपैक्स समितियों के माध्यम से किसानों को सस्ता ब्याज मिलता है।
  • खाद, बीज और दवाइयों तक की समितियों के माध्यम से उपलब्धता होती है।
  • फसल लोन भी समितियों के माध्यम से मिलना आसान होता है।
  • समय से कर्ज चुकाने पर ब्याज में भी छूट मिलती है।
  • कृषि संयंत्र खरीदने के लिए भी 20 लाख तक राशि मिलती है।
  • दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना जिसमें किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से योजना के अंतर्गत 6.41लाख लाभार्थियों एवं 3837 स्वयं सहायता समूह को 3630 करोड़ को ब्याज रहित ऋण वितरण किया गया।

कार्यक्रम में 5 महिला समूह को 5 – 5 लाख के 0% ब्याज दर पर ऋण वितरण किया गया यह समूह अपनी आमदनी दोगुनी करेंगे। मुख्यमंत्री और सहकारिता मंत्री ने इन समूह की महिलाओं को चेक सौंपा है।

इन स्वयं सहायता समूह को दिया ऋण 

  • शम्भू महिला समूह।
  • हेमा महिला समूह।
  • मां पार्वती महिला समूह।
  • मांहेश्वरी महिला समूह।
  • राधे-श्याम महिला समूह।

कार्यक्रम मे मुख्यमंत्री ने रिमोट का बटन दबाकर उत्तराखंड की 108 एम पैक्स को लाइव किया। यह गांव और न्याय पंचायत स्तर पर यह समितियां अब बैंक जैसा कार्य कर सकेंगी।  उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम के तहत 13 से 15 अगस्त तक ‘हर घर ‘तिरंगा’ अभियान चलाने जा रही है. इसके तहत, इन तीन दिनों में घरों में तिरंगा फहराने की योजना है। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आए किसानों और सहकारिता से जुड़े हुए अधिकारियों से कहा कि वह अपने टि्वटर हैंडल , फेसबुक, व्हाट्सएप की डीपी में तिरंगा लगाएं।

कार्यक्रम में किसानों को संबोधित करते कहा कि करीब 300 किसानों जो मक्के का उत्पादन कर रहे हैं उन्होंने भाग लिया। अपने संबोधन में किसानों ने कहा कि सहकारिता विभाग की साइलेज योजना उनके लिए बहुत लाभकारी है।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के सचिव मीनाक्षी सुंदरम सचिव,  सहकारिता डॉ  बीवीआरसी पुरुषोत्तम निबंधक सहकारिता आलोक कुमार पांडेय,  ईरा उप्रेती, आनंद शुक्ल, नीरज बेलवाल, एमपी त्रिपाठी, रामिन्द्री मंद्रवाल, मान सिंह सैनी, अनिल गुप्ता, मोनिका चुनेरा,  सुरेन्द्र सिंह बिष्ट, वंदना लखेड़ा सहित अनेक अधिकारी मौजूद थे।

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