सामाजिक

परेशानी : टमाटर के सही दाम न मिलने से नौगांव के कास्तकार मायूस

प्रस्तावित मंडी के अबतक अस्तित्व में न आने के कारण हो रहा किसानों को भारी नुकसान

देहरादून और रुड़की के मंडियों में एक क्रेट टमाटर के दाम मात्र 100 से 300 रुपये

Naugaon। Rohit bijalwan

टमाटर के सही दाम न मिलने से यमुनाघाटी के कास्तकार मायूस हैं। स्तिथि यह है कि एक क्रेट टमाटर की बचत मात्र 20 रुपए तक आ रही है। जिससे लागत भी नहीं उठ रही है। इस साल कई किसानों के टमाटर की फसल बीमारी लगने, समय पर बरसात न होने और अब अधिक बरसात होने से टमाटर फट कर खराब हो गए हैं। और जो बचा टमाटर है उसका उचित दाम न मिलने से उनके चेहरे पर मायूसी छा गई है।

कोटियाल गांव, पलेठा, बगासू, खांसी, बलाडी, मंजयाली, सुनारा, नौगांव गांव, मुराडी और तुनालका के कास्तकारों का कहना है कि देहरादून और रुड़की मंडी में टमाटर की एक क्रेट 100 से 300 रुपये की बिक रही है, जिससे लागत भी पूरी नहीं हो पा रही है। कई किसानों का कहना है कि हमारी मुख्य आय का साधन टमाटर ही है। लेकिन कोविड 19 के बाद से ही टमाटर का सही दाम न मिलने से आर्थिक संकट पैदा हो गए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि नौगांव में प्रस्तावित मंडी के अब तक अस्तित्व में न आने के कारण भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यदि मंडी तैयार हुई होती तो फसलों का उचित दाम तो मिलता ही, साथ ही किराया भाड़े से बचा जा सकता था। लेकिन कोई सुध लेने वाला है नहीं। जिससे किसानों में भारी रोष व्याप्त है।

यमुनाघाटी में हर साल होता है हजारों टन टमाटर का उत्पादन :  यमुनाघाटी के नौगांव, पुरोला, मोरी, लाखामंडल, डामटा, नैनबाग में हर वर्ष हजारों टन टमाटर का उत्पादन किया जाता है। लेकिन, इस बार समय पर बरसात न होने से टमाटर देर से निकलना शुरू हुआ। शुरुआत में जब रेट ठीक थे तो फसल तैयार नहीं थी, लेकिन जब आजकल तैयार हुई तो इतने कम दाम मिल रहे हैं कि फसल तोड़कर मंडी तक पहुंचाने का खर्च भी पूरा नहीं हो पा रहा है। जिससे उनके चेहरे पर साफ मायूसी झलक रही है।

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