उत्तराखंड

बड़कोट के तिलाड़ी नरसंहार की 92वीं बरसी पर शहीदों को याद कर दी भावभीनी श्रद्धांजलि

शहीद दिवस

नौगांव। यमुनाघाटी के बड़कोट नगरपालिका के तिलाड़ी में आज तिलाड़ी कांड की 92वीं बरसी पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल और डीएम अभिषेक रुहेला और स्थानीय नेताओं और अधिकारियों ने शहीदों को याद कर स्मारकों पर माल्यार्पण कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। साथ ही नगर पालिका बड़कोट के द्वारा शहीदों के परिजनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।

यमुनाघाटी के नगरपालिका बड़कोट के तिलाड़ी में आज आजादी से पूर्व 30 मई 1930 को हुए नरसंहार की 92वीं बरसी पर शहीद दिवस मनाया गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला, यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल नगर पालिका अध्यक्ष अनुपमा रावत और नगर पंचायत अध्यक्ष हरिमोहन नेगी और जनप्रतिनिधियों द्वारा तिलाड़ी में शहीद स्मारक पर पुष्प अर्पित करते हुए शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि दी गई। अपने सम्बोधन में स्थानीय विधायक संजय डोभाल ने कहा है कि धन्य हो तिलाड़ी के उन शहीदों को जिन्होंने अपने हक-हकूकों के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। आज उन शहीदों की बदौलत सभी हक-हकूक हमारे लिए बहाल हैं। कहा कि तिलाड़ी शाहिद स्थल के विकास के लिए जो सम्भव होगा वह किया जाएगा।  डीएम अभिषेक रुहेला ने कहा है कि इस ऐतिहासिक शहीद स्थल को विकास की जरूरत है, इसके विकास व गौरव को लेकर जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर इसका विकास किया जाएगा। इस मौके पर नगर पालिका अध्यक्ष बड़कोट अनुपमा रावत द्वारा शहीदों के परिजनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।

ये रहे उपस्थित : डीएफओ सुबोध काला, एसडीएम शालिनी नेगी, सीओ सुरेंद्र सिंह भंडारी, सकल चंद रावत, अतोल रावत, अजवीन पंवार, आनंद राणा, दलवीर डोटियाल,जेष्ठ ब्लॉक प्रमुख किशन राणा,कपिल देव रावत, सोबन राणा, राजेन्द्र सिंह रावत , तिलाड़ी सम्मान समिति के अध्यक्ष सुनील थपलियाल , कोषाध्यक्ष ध्यान सिंह रावत,राकेश रमोला, जनक सिंह राणा, विनोद असवाल, ललित पंवार, सजंय पंवार, विजय सिंह, तहसीलदार चमन सिंह सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग रहे।

उत्तराखंड के इतिहास में रक्तरंजित तारीख है 30 मई

30 मई उत्तराखंड के इतिहास में एक रक्तरंजित तारीख है। इसी दिन 1930 में तत्कालीन टिहरी रियासत के राजा नरेंद्र शाह ने रंवाई के तिलाड़ी स्थित मैदान में अपना लोकल जलियांवाला बाग काण्ड रच डाला था। जंगलों पर अपने अधिकारों के लिए तिलाड़ी मैदान में जमा हुए सैकड़ों लोगों को राजा की फौज ने तीन तरफ से घेर लिया। चौथी तरफ यमुना नदी अपने प्रचंड वेग से बहती है। बिना किसी चेतावनी के राजा की फौज ने निहत्थे लोगों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई। कुछ गोलियों का शिकार हुए, कुछ ने बचने के लिए यमुना में छलांग लगा दी, वे नदी की तेज धारा में बह गए। वनों पर अपने नैसर्गिक अधिकारों का दावा करने वालों को सबक सिखाने के लिए टिहरी के राजा नरेंद्र शाह ने अपने दीवान चक्रधर जुयाल के मार्फत यह लोमहर्षक हत्याकांड रचा। राजशाही के इस क्रूर दमन के कारण, सैकड़ों मारे गए और सैकड़ों शहीद हुए थे।

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