एक महीने तक चलने वाली 600 किलोमीटर से ऊपर की है पैदल यात्रा
पुरोला। मोरी तहसील की सिगतूर पट्टी के आराध्य देव दानवीर कर्ण महाराज आज से केदारनाथ की पैदल यात्रा पर निकल गए है। यह यात्रा करीब एक महीने तक चलेगी। यात्रा के समापन अवसर पर देवरा में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
उत्तरकाशी जिले के मोरी तहसील की सिगतूर पट्टी के 25 गांव के आराध्य देव दानवीर कर्ण महाराज, गुरुमाता रेणुका, कर्ण महाराज के सारथी शल्य महाराज एवं कर्ण महाराज के पुत्र वृष केतु महाराज पुनः 18 वर्षों के बाद आज (सोमवार) को केदारनाथ कि यात्रा पर निकल गए हैं। इस यात्रा में दानवीर कर्ण को मानने वाले ब्राह्मण, पुजारी, बजीर, कंडी वाहक, ठानी,और उनके बाजगी लोग प्रतिभाग कर रहे हैं। यात्रा में उत्तराखंड पुलिस की तरफ से 02 एसडीआरएफ के जवान भी साथ में हैं। यात्रा लगभग एक माह चलेगी।
दानवीर कर्ण महाराज महादेव को मानते अपना गुरु : चूंकि कर्ण महाराज महादेव को अपना गुरु मानते है उनके दर्शन करने तथा भोले नाथ से अपने अनुयायियों की खुशहाली की प्रार्थना करने दानवीर कर्ण महाराज प्रत्येक 12 वर्षों के उपरान्त केदारनाथ की यात्रा पर जाते है यह यात्रा लगभग 600 सौ किलोमीटर से ऊपर की पैदल यात्रा होती है। जिसका शुभारंभ देवरा के कर्ण महाराज मन्दिर से होता है दानवीर कर्ण महाराज द्वारा सम्पूर्ण सनातनी समाज और क्षेत्र के जनमानस की खुशहाली की प्रार्थना बाबा केदार से की जाती है।
सिगतुर पट्टी के लोग शादी ब्याह में नहीं लेते हैं दहेज : सिगतुर पट्टी के सभी 25 गांवों के लोग आज भी महाभारत में किए गए कर्ण महाराज के दानवीर होने के वचन का पालन करते है अभी तक भी यहां के लोग शादी में दहेज नहीं लेते है कन्या दान करते है ओर कर्ण महाराज मन्दिर में जब भी कोई अनुष्ठान होता है उस पर कर्ण महाराज के द्वारा आज भी गौ दान और स्वर्ण दान किया जाता है प्रत्येक वर्ष की मकरसंक्रांति को महाभारत युद्ध के प्रतीक के तौर पर गेंदी मेले का भी आयोजन किया जाता है जो की उत्तराखंड में पौड़ी गढ़वाल और उत्तरकाशी के देवरा में मनाया जाता है यात्रा के समापन के दिन मंदिर में विशाल भंडारे का आयोजन किया जायेगा तथा कर्ण महाराज द्वारा ब्राह्मण, पुजारी,ठानी,और बाजगियों को दान भी दिया जाता है।